Kisan par nibandh hindi mein – भारतीय किसान पर निबंध 1000 शब्दों में

Last updated on November 9th, 2023 at 02:53 pm

दोस्तों अगर आप Kisan par nibandh hindi mein भारतीय किसान पर निबंध 1000 शब्दों में पढ़ना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को लास्ट तक जरूर पढ़िए।

आइए आपको बताते हैं Kisan par nibandh hindi mein के बारे में

भारतीय किसान पर निबंध 1000 शब्दों में – Kisan par nibandh hindi mein

प्राचीन काल से ही भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है।

भारत की लगभग 70% जनसंख्या गांवो में निवास करती है।

इस जनसंख्या का अधिकांश भाग कृषि पर ही निर्भर है।

कृषि ने ही भारत को अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में विशेष ख्याति प्रदान की है।

भारत के सकल राष्ट्रीय आय का लगभग 30% कृषि से ही आता है।

भारतीय समाज का संगठन और संयुक्त परिवार प्रणाली

आज के युग में कृषि व्यवसाय के कारण ही अपना महत्व बनाए हुए हैं

फिर भी आश्चर्य की बात यह है कि हमारे देश में कृषि बहुसंख्यक जनता का मुख्य

और महत्वपूर्ण व्यवसाय होते हुए भी बहुत ही पिछड़ा हुआ और अवैज्ञानिक है।

जब तक भारतीय कृषि में सुधार नहीं होता है तब तक भारतीय किसानों की स्थिति में

सुधार के कोई संभावना नहीं और भारतीय किसानों की स्थिति में

सुधार के पूर्व भारतीय गांवो के विकास की कल्पना ही नहीं की जा सकती।

दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि भारतीय कृषि, कृषक और गांव तीनों ही एक दूसरे पर अवलंबित हैं इनके उत्थान और पतन, समस्याएं और समाधान भी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

भारतीय कृषि का स्वरूप

भारतीय कृषि और अन्य देशों की कृषि में बहुत अंतर है

कारण यह है कि अन्य देशों की कृषि वैज्ञानिक ढंग से आधुनिक साधनों द्वारा की जाती है

जबकि भारतीय कृषि अवैज्ञानिक और अविकसित है।

भारतीय किसान आधुनिक तरीकों से खेती करना नहीं चाहते वह परंपरागत कृषि पर ही आधारित है

इसके साथ ही भारतीय कृषि का स्वरूप इसलिए भी अव्यवस्थित है

कि यहां पर कृषि प्रकृति की उदारता पर निर्भर है यदि वर्षा ठीक समय पर उचित मात्रा में हो गई तो फसल अच्छी हो जाएगी अन्यथा बाढ़ और सूखे की स्थिति में सभी फसलें नष्ट हो जाती हैं।

इस प्रकार प्रकृति की अनिश्चितता पर निर्भर होने के कारण भारतीय कृषि

सामान्य कृषकों के लिए आर्थिक दृष्टि से लाभदायक नहीं है।

भारतीय कृषि की समस्याएं

आज वैज्ञानिक युग में भी कृषि के क्षेत्र में भारत में अनेक समस्याएं

विद्यमान है जो कि भारतीय कृषि के पिछड़ेपन के लिए उत्तरदाई है।

भारतीय कृषि की प्रमुख समस्याओं में सामाजिक, आर्थिक और

प्राकृतिक कारण है। सामाजिक दृष्टि से भारतीय किसानों की दशा

अच्छी नहीं है अपने शरीर की चिंता ना करते हुए सर्दी, गर्मी सभी ऋतुओं में वह अत्यंत कठिन परिश्रम करता है ।

तब भी उसे पर्याप्त लाभ नहीं हो पाता।

भारतीय किसान अधिकतर अशिक्षित हैं।

इसका कारण आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के प्रसार का ना होना है।

शिक्षा के अभाव के कारण वह कृषि में नए वैज्ञानिक तरीकों का प्रयोग नहीं कर पाता, तथा अच्छे खाद एवं बीज के बारे में भी नहीं जानता।

कृषि करने के आधुनिक वैज्ञानिक यंत्रों के विषय में भी उसका ज्ञान शून्य होता है

तथा आज भी वह प्रायः पुराने ढंग से खाद और बीजों का प्रयोग करता है।

भारतीय किसानों की आर्थिक स्थिति भी अत्यंत सोचनीय है

वह आज भी महाजनों की मुट्ठी में जकड़ा हुआ है।

प्रेमचंद जी ने कहा था_” भारतीय किसान ऋण में ही जन्म लेता है,

जीवन भर ऋण चुकाता रहता है और बाद में ऋणग्रस्त अवस्था में ही व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।

” धन के अभाव में ही वह उन्नत बीज खाद और कृषि यंत्रों का प्रयोग नहीं कर पाता।

अतिरिक्त एक अन्य समस्या

सिंचाई के साधनों के अभाव के कारण वह प्रकृति पर निर्भर रहता है।

प्राकृतिक प्रकोपों जैसे_ बाढ़, सूखा, ओला आदि से भारतीय किसानों

की स्थिति बदतर होती जा रही है। अशिक्षित होने के कारण वह

वैज्ञानिक विधियों का खेती में प्रयोग करना नहीं जानता, और ना ही उन पर विश्वास करना चाहता।

अंधविश्वास, धर्मांधता, रूढ़िवादिता आदि बचपन से ही घेर लेते हैं

इसके अतिरिक्त एक अन्य समस्या है _ भ्रष्टाचार की, जिसके चलते ना तो भारतीय कृषि का स्तर सुधर पाता है। और ना ही भारतीय कृषक का।

हमारे पास दुनिया की सबसे अधिक उपजाऊ भूमि है, गंगा, जमुना के मैदान में इतना अनाज पैदा किया जाता है कि पूरे देश का पेट भरा जा सकता है।

इन्हीं विशेषताओं के कारण दूसरे देश आज भी हमारी ओर ललचाई नजरों से देखते हैं

लेकिन हमारी गिनती दुनिया के भ्रष्ट देशों में होती है।

हमारी तमाम योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है।

केंद्र सरकार अथवा विश्व बैंक की कोई भी योजना हो

उसके इरादे कितने ही क्यों ना हो पर हमारे देश के नेता और नौकरशाह योजना के उद्देश्यों को धूल चटा देने की कला में माहिर हो चुके हैं।

Article Link: पर्यावरण पर निबंध 500 शब्द

ऊसर भूमि सुधार, बाल पुष्टाहार, आंगनबाड़ी निर्बल वर्ग आवास- योजना से लेकर कृषि के विकास और विविधीकरण की तमाम शानदार योजनाएं कागजों और पैम्फलेटो पर ही चल रही है।‌

आज स्थिति यह है कि गांवों के कई घरों में दो वक्त चूल्हा भी नहीं जलता तथा ग्रामीण नागरिकों को पानी, बिजली, स्वास्थ्य , यातायात और शिक्षा के बुनियादी सुविधाएं भी

ठीक से उपलब्ध नहीं है इन सभी समस्याओं के परिणाम स्वरुप भारतीय कृषि का प्रति एकड़ उत्पादन अन्य देशों की अपेक्षा गिरे हुए स्तर का रहा है।

समस्या का समाधान

भारतीय कृषि की दशा को सुधारने से पूर्व हमें कृषक और उसके वातावरण की ओर दृष्टिपात करना चाहिए। भारतीय किसान जिन ग्रामों में रहते हैं, उनकी दशा अत्यंत सोचनीय है

अंग्रेजों के शासन काल में किसानों पर ऋण का बोझ बहुत अधिक था।

धीरे-धीरे किसानों की आर्थिक दशा और गिरती चली गई एवं गांवों का सामाजिक,

आर्थिक वातावरण अत्यंत दयनीय हो गया। अतः किसानों की स्थिति में सुधार तभी हो सकता है

जब विभिन्न योजनाओं के माध्यम से इन्हें लाभान्वित किया जा सके इनको

अधिकाधिक संख्या में साक्षर बनाने हेतु एक मुहिम छेड़ी जाए ऐसे ज्ञानवर्धक

कार्यक्रम तैयार किए जाएं जिनसे हमारा किसान कृषि के आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों से परिचित हो सकें।

bhartiya kisan ke upar nibandh
Kisan par nibandh hindi mein

ग्रामोत्थान हेतु सरकारी योजनाएं

गांवो की दुर्दशा से भारत की सरकार भी अपरिचित नहीं है।

भारत ग्रामों का ही देश है, अतः उनके सुधारार्थ पर्याप्त ध्यान दिया जाता है।

पंचवर्षीय योजनाओं द्वारा गांव में सुधार किए जा रहे हैं शिक्षालय, वाचनालय,

सहकारी बैंक, पंचायत विकास, विभाग, जलकल,विद्युत आदि की व्यवस्था के प्रति पर्याप्त ध्यान दिया जा रहा है।

इस प्रकार सर्वांगीण उन्नति के लिए भी प्रयत्न हो रहे हैं , किंतु इनकी सफलता ग्रामों में

बसने वाले निवासियों पर ही निर्भर है यदि अपना कर्तव्य समझकर विकास में

सक्रिय सहयोग दें तो यह सभी सुधार उत्कृष्ट साबित हो सकते हैं

इन प्रयासों के बावजूद ग्रामीण जीवन में अभी भी अनेक सुधार अपेक्षित हैं।

आदर्श ग्राम की कल्पना

गांधीजी की इच्छा थी कि भारत के ग्रामों का स्वरूप आदर्शों तथा

उनमें सभी प्रकार की सुविधाओं ,खुशहाली और समृद्धि का साम्राज्य हो।

गांधीजी का आदर्श गांव से अभिप्राय- एक ऐसे गांव से था जहां पर शिक्षा का

सुव्यवस्थित प्रचार हो, सफाई, स्वास्थ्य, मनोरंजन की सुविधाएं हो।

सभी व्यक्ति प्रेम, सहयोग और सद्भावना के साथ रहते हो।

रेडियो, पुस्तकालय, पोस्ट ऑफिस आदि की सुविधाएं हो। भेदभाव , छुआछूत आदि की भावना ना हो।

तथा लोग सुखी और संपन्न हो परंतु आज भी हम देखते हैं कि उनका स्वप्न मात्र स्वपन हीं रह गया है ।

आज भी भारतीय गांव की दशा अच्छी नहीं है। चारों और बेरोजगारी और निर्धनता का साम्राज्य है।

गांधीजी का आदर्श ग्राम तभी संभव है जब कृषि जो कि ग्राम वासियों का मुख्य व्यवसाय की स्थिति में सुधार के प्रयत्न किए जाएं और कृषि से संबंधित सभी समस्याओं का यथासंभव शीघ्रता शीघ्र निराकरण किया जाए।

उपसंहार

ग्रामों की उन्नति भारत के आर्थिक विकास में अपना अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

भारत सरकार ने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद गांधी जी के आदर्श ग्राम की कल्पना को साकार करने का यथासंभव प्रयास किया है।

गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य, सफाई आदि की व्यवस्था के प्रयत्न किए हैं।

कृषि के लिए अनेक सुविधाएं जैसे _ अच्छे से अच्छे बीज, अच्छी खाद, अच्छे उपकरण और सुविधाजनक ऋण व्यवस्था आदि देने का प्रबंध किया है। इस दशा में अभी और सुधार किए जाने की आवश्यकता है।

Kisan par nibandh hindi mein

Conclusion

In Conclusion तो साथियों आज के इस आर्टिकल में आपने जाना कि Kisan par nibandh hindi mein आपको यह जानकारी पसन्द आई हो

तो अपने उन दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें जो कि Kisan par nibandh hindi mein के बारे में जानना चाहते हों।

Finally अगर आप Career ,Courses and Exams से संबंधित महत्वपूर्ण वीडियो देखना चाहते हैं तो आप Right Info Club YouTube Channel पर जाकर देख सकते हैं।

Share

Leave a Comment

x