Mahatma Gandhi par 10 line – महात्मा गांधी पार 10 पंक्ति

Last updated on November 4th, 2023 at 11:27 am

तो दोस्तों क्या आप जानना चाहते हैं Mahatma Gandhi par 10 line के बारे में तो इस आर्टिकल को शुरू से लेकर लास्ट तक जरूर पढ़ें

दोस्तों जब भी देश की स्वतंत्रता की बात आती है तो सबसे पहले महात्मा गांधी जी का नाम हमारे मुख में आता है। क्योंकि महात्मा गांधी जी का योगदान देश को आजादी दिलाने में मुख्य रहा है

गांधी जी के जन्म दिवस को Gandhi jayanti के नाम से जाना जाता है।

जो कि हर वर्ष 2 अक्टूबर को “गांधी जयंती” मनाई जाती है।

आज के इस आर्टिकल में हम आगे बात करने वाले है Mahatma Gandhi par 10 line के बारे में

और साथ ही साथ इनके जीवन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें।

जिन्हें जानने के लिए Mahatma Gandhi par 10 line आर्टिकल को जरूर पढ़िए।

हमारे देश में अनेक महापुरुषों हुए जिन्होंने अपने प्राणों का बलिदान देकर हमें एक महानता का पाठ पढ़ाया लेकिन उन महापुरुषों के बीच एक ऐसी महान मूर्ति हुई अर्थात महात्मा गांधी जी।

जिनका जीवन सरलता, सादगी, सादा जीवन, उच्च विचार से भरा था जिन्हें लोग सदैव स्मरण रखेंगे

Mahatma Gandhi par 10 line

जीवन – परिचय

महात्मा गांधी का जन्म पश्चिम भारत में 2 अक्टूबर सन् 1869 को गुजरात के पोरबंदर जिले में हुआ था।

इनके पिता का नाम करमचंद गांधी था, और माता का नाम पुतलीबाई था।

जो कि धार्मिक विचारों वाली महिला थी इनके पिताजी अंग्रेजों के शासन के दौरान पोरबंदर राजकोट के दीवान थे।

गांधी जी का पूरा नाम “मोहनदास करमचंद गांधी” था। गांधीजी तीन भाई थे और यह सबसे छोटे थे।

महात्मा गांधी की शिक्षा

सन् 1887 में गांधी जी ने मुंबई यूनिवर्सिटी से मैट्रिक की परीक्षा पास की।

उसके बाद उन्होंने भावनगर स्थित “सामल दास कॉलेज” में दाखिला लिया।

अचानक गुजराती भाषा से अंग्रेजी भाषा में पढ़ाई करने से कुछ कठिनाइयां होने लगी।

और इसी बीच उनके परिवार में उनके भविष्य को लेकर चर्चा हो रही थी

वैसे गांधीजी तो डॉक्टर बनना चाहते थे, किंतु वैष्णव परिवार में चीर- फार की इजाजत नहीं थी।

साथ ही यह भी स्पष्ट था कि यदि उन्हें गुजरात के किसी राजघराने में उच्च पद प्राप्त करने की पारिवारिक परंपरा निभानी है, तो उन्हें बैरिस्टर बनना ही पड़ेगा।

बैरिस्टर एक तरह वकील का ही प्रकार होता है जो कि आम कानून न्यायालय में अपनी प्रैक्टिस करता है। वकील (एडवोकेट) और बैरिस्टर में क्या अंतर है? दोनों एक ही है। गांधीजी के टाइम पर वकीलों को बैरिस्टर कहते थे।

इसीलिए वे बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए।

सितंबर 1888 वह पानी के जहाज पर सवार होकर लंदन पहुंच गए।

वहां पहुंचने के 10 दिन बाद लंदन के चार कानून महाविद्यालय में से एक इंटर टेंपल में दाखिल हुए।

वहां गांधीजी अपनी पढ़ाई को गंभीरता से लिया। और लंदन यूनिवर्सिटी मैट्रिकुलेशन की परीक्षा में बैठकर अंग्रेजी और लैटिन भाषा को सुधारने का प्रयत्न किया।

बदलाव का रुख

गांधी जी जब इंग्लैंड से भारत लौटे तब तक उनकी माताजी का देहांत हो चुका था।

और वहां मुंबई उच्च न्यायालय में शिक्षक के पद पर भी रहे।

दक्षिण अफ्रीका में नडाल स्थित एक भारतीय कंपनी के अंतर्गत 1 साल के अनुबंध को स्वीकार किया।

जो उनकी जिंदगी को पूरी तरह बदलने वाला था।

दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी ने जाकर देखा की भारतीयों के साथ कैसा जुल्म हो रहा है गांधीजी ने पहली बार इस दर्द को महसूस किया।

Mahatma Gandhi par 10 line

महात्मा गांधी जी का संघर्ष

गांधी जी जब विदेश से वकालत की पढ़ाई करके लौटे तब भारत में अंग्रेजी हुकूमत का राज था.

अंग्रेजी हुकूमत को जड़ से खत्म करने के लिए कई क्रांतिकारी लड़ाइयां भी लड़ी।

देश को आजादी दिलाने के लिए नमक सत्याग्रह आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, सत्याग्रह आंदोलन, भारत का विभाजन और भारत छोड़ो आंदोलन आदि कई आंदोलन निकाले गए।

गांधी जी भारत लौटकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जैसे संस्था को पूर्ण स्वतंत्रता का लक्ष्य मानकर संघर्ष में कूद पड़े। उन्होंने अंग्रेजी कानून का बहिष्कार करके सत्याग्रह का बिगुल बजा दिया

और भारतवासियों के मानवाधिकारों का हनन करने वाले रोलेट एक्ट का जगह-जगह विरोध हुआ।

सन 1919 में जलियांवाला बाग में विरोधी सभा पर हुए अत्याचारों ने गांधी जी की अंतरात्मा को हिला कर रख दिया।

और तभी से समुचित स्वतंत्रता आंदोलन की बागडोर संभाल खुले आम संघर्ष में कूद पड़े।

बिहार की नील सत्याग्रह, दांडी यात्रा, नमक सत्याग्रह, खेड़ा का किसान सत्याग्रह गांधी जी के प्रमुख सत्याग्रह आंदोलन रहे।

स्वदेशी वस्तुओं पर जोर

विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार और विदेशी माल का दाह, स्वदेशी प्रचार के लिए चरखे और खादी का महत्व, सभी धर्मों के एकता के प्रचार के लिए आरंभ किए गए अन्य समाज सुधारक आंदोलन भी शामिल है।

गांधीजी हमेशा सफेद वस्त्र धारण करते थे। स्वदेशी वस्तुओं पर जोर देते थे।

इसीलिए इन्हें कई बार जेल की यात्रा भी करनी पड़ी।

1931 में इंग्लैंड में आयोजित गोलमेज कांफ्रेंस में भाग लेने के लिए गांधी जी वहां पर गए जब इच्छा के विरुद्ध हरिजनों को निर्वाचन का विशेषाधिकार हिंदुओं से अलग कर दिया गया

तो भारत लौटकर गांधी जी ने आंदोलन शुरू कर दिया बंदी बनाए जाने पर गांधी जी अनशन करने लगे तो सारा देश क्षुब्ध हो गया

इसके फलस्वरूप ब्रिटिश सरकार ने गांधीजी के मतानुसार हरिजनों का प्रथम निर्वाचन अधिकार का हठ छोड़ना पड़ा

सन 1942 में मुबंई कांग्रेस के अवसर पर इनके द्वारा अंग्रेजों को दी गई चेतावनी “अंग्रेजों भारत छोड़ो”

और भारतवासियों को “करो या मरो” की ललकार का जो भीषण परिणाम निकला उससे अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश होना ही पड़ा।

अंततः गांधीजी के कई नेतृत्व और प्रयासों के कारण आखिरकार 15 अगस्त 1947 को भारत को मुक्त कर इंग्लैंड वापस चले गए.

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Mahatma Gandhi par 10 line

1) गाँधीजी का पूरा नाम ‘मोहनदास करमचंद गांधी’ था।

2) 2 अक्टूबर 1869 को गांधीजी का जन्म गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ था।

3) इस दिन को विश्व अहिंसा -दिवस एवं गांधी जयंती के नाम से जानते है।

4) महात्मा गांधी स्वाधीनता आंदोलन के एक प्रमुख स्तंभ थे।

5) गांधीजी ने लोगों की सेवा के लिए अपना पहला आश्रम साबरमती नदी के तट पर बनाया।

6) गाँधी जी के पिता जी का नाम करमचंद गाँधी और माता जी का नाम पुतली बाई था।

7) गाँधी जी का विवाह 13 वर्ष की आयु में 14 वर्षीय कस्तूरबा गाँधी के साथ हुआ था।

8) महात्मा गाँधी जी ने स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई भारत से और कानून की पढ़ाई यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन से पूरी की थी।

9) गाँधी जी राजनितिक गुरु के रूप में गोपाल कृष्ण गोखले जी को आदर्श मानते थे।

10) 30 जनवरी 1948 को गांधी जी के एक शिष्य नाथूराम गोडसे के द्वारा ही गाँधी जी की हत्या कर दी गयी थी

Mahatma Gandhi par 5 line

1) गाँधीजी का पूरा नाम ‘मोहनदास करमचंद गांधी’ था।

2) 2 अक्टूबर 1869 को गांधीजी का जन्म गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ था।

3) इस दिन को विश्व अहिंसा -दिवस एवं गांधी जयंती के नाम से जानते है।

4) महात्मा गांधी स्वाधीनता आंदोलन के एक प्रमुख स्तंभ थे।

5) गांधीजी ने लोगों की सेवा के लिए अपना पहला आश्रम साबरमती नदी के तट पर बनाया।

साथियों गांधीजी जीवन भर लोगों की सेवा में लगे रहें।

वह लंदन से वक़ालत करने के बावजूद उन्होंने विदेश में आराम की जिंदगी न चुनकर अफ्रीका में भारतीयों के लिए लड़ें।

और उसके बाद वह भारत की स्थिति को देखकर वापस लौट आए।

गांधीजी ने कभी अहिंसा का मार्ग नहीं छोड़ा और लोगों से भी हिंसा त्यागने की अपील करते थे।

गांधीजी एक सच्चे देशभक्त थे। उन्होंने देश की स्वतंत्रता में भी योगदान दिया और समाज में फैली कई कुप्रथाओं को भी समाप्त कराया।

अंततः गांधीजी के ही एक शिष्य “नाथूराम गोडसे” द्वारा उनकी हत्या कर दी गई।

Conclusion

In Conclusion तो दोस्तों हम आशा करते हैं कि आपको महात्मा गांधी पर Mahatma Gandhi par 10 line पसंद आयी होंगी और आप इसे ठीक से समझ भी गए होंगे।

और यदि आप इस आर्टिकल Mahatma Gandhi par 10 line से संबंधित कोई सवाल हो, या फिर किसी अन्य टॉपिक पर जानकारी चाहते हो तो कृपया कमेंट करके जरूर बताइए।

धन्यवाद !

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