शिक्षा और राजनीति पर निबंध – Shiksha aur Rajniti par nibandh

Last updated on November 9th, 2023 at 11:13 pm

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शिक्षा और राजनीति पर निबंध – Shiksha aur Rajniti par nibandh

शिक्षा और छात्र राजनीति पर निबंध

भूमिका

विद्यार्थी जीवन मानव जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण समय होता है

इस काल में विद्यार्थी जिन विषयों का अध्ययन करता है

अथवा जिन नैतिक मूल्यों को वह ग्रहण करता है वही जीवन मूल्य उसके भविष्य निर्माण का आधार बनता है। विद्यार्थियों का मुख्य उद्देश्य शिक्षा ग्रहण करना है और उन्हें अपना पूरा ध्यान उसी ओर लगाना चाहिए।

लेकिन राष्ट्रीय परिस्थितियों का ज्ञान और उसके सुधार के उपाय सोचने की योग्यता पैदा करना भी शिक्षा में शामिल होना चाहिए।

ताकि वे राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सकें।

और शिक्षा ही व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करती है।

अतः प्रत्येक विद्यार्थी को पूरे मनोयोग से विद्या अध्ययन करना चाहिए।

परंतु आज हमारे विद्यार्थियों का व्यवहार इसके बीच विपरीत नजर आ रहा है।

आज भी अपने अध्ययन की प्रवृत्ति को त्याग कर सक्रिय राजनीति के दलदल में फंसने के लिए तैयार बैठे प्रतीत होते हैं।

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शिक्षा और राजनैतिक गतिविधियां

विद्यार्थियों का मूल उद्देश्य शिक्षा प्राप्त करना होता है

जिसमें पूरी लगन के साथ लगे रहना चाहिए वरना उनके ज्ञानार्जन के कार्य में व्यवधान पड़ जाता है।

वे कहते हैं कि एक सजग एवं प्रबुद्ध नागरिक होने के नाते उन्हें निश्चित ही राजनैतिक नीतियों और गतिविधियों के प्रति जागरूक रहना चाहिए।

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परंतु सक्रिय राजनीति में प्रवेश करना किसी भी प्रकार उचित नहीं है।

यदि ‌ छात्र सक्रिय और दलगत राजनीति में फंस जाते हैं ,

तो शिक्षा के श्रेष्ठ आदर्श को भूल कर वे अपने मार्ग से भटक जाते हैं।

सक्रिय राजनीति में प्रवेश करने से पहले उन्हें अपनी शिक्षा पूरी करनी चाहिए

जहां तक राजनीति की शिक्षा प्राप्त करने का प्रश्न है

जो बाल गंगाधर तिलक गोखले और महात्मा गांधी

जैसे अनेक नेताओं उदाहरण हमारे सामने है जिन्हें ऐसी किसी भी शिक्षा की आवश्यकता कभी नहीं पड़ी।

महात्मा गांधी और जयप्रकाश नारायण द्वारा किए गए प्रयासों के संदर्भ में कहा जाता है

कि महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संघर्ष के निर्णायक दौर में देश के संपूर्ण शक्ति को लगा देने की दृष्टि से ही ऐसा ‌किया था ,

वही जयप्रकाश नारायण ने भी छात्रों को संकट की स्थिति में क्रियाशील बनाने के नियत से ही उन्हें ललकारा था ।

वास्तव में उपरोक्त दोनों नेताओं सहित अन्य बड़े बड़े नेताओं ने देश के विद्यार्थी समुदाय को यही परामर्श दिया है । कि वह पूर्ण निष्ठा व लगन के साथ अपनी पढ़ाई करें तथा अपनी मंजिल को प्राप्त कर सकें ।

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शिक्षण संस्थानों में राजनीतिक विचारधारा

शिक्षण संस्थानों में राजनीति के बीज बोने का काम राजनीतिक दल करते हैं।

ये राजनीतिक छात्रों की विशेषताओं से भली भांति परिचित होते हैं

कि युवा विद्यार्थी प्राय: आदर्शवादी होते हैं और उन्हें आदर्श से ही प्रेरित किया जा सकता है।‌

उन्हें यह पता होता है ।

कि एक जुट छात्रों की शक्ति असीम ‌होती है।‌

उन्हें यह भी ज्ञान होता है कि विद्यार्थी वर्ग एक बार किसी को अपना नेता मान लेने के बाद उस पर विश्वास करने लगते हैं वे इस तथ्य से भी परिचित है कि

सामान्यतः छात्र समुदाय राजनीतिक की टेढ़ी चालों ‌

तथा उनके पीछे छिपे स्वार्थों को जानने की परिपक्व बुद्धि से युक्त नहीं होते

इन्हीं बातों को देखते हुए राजनीतिक अपनी स्वार्थ पूर्ति के उद्देश्य से

उनको और सक्रिय राजनीति में घसीटने के अनेक प्रयास करते हैं ।

यह स्पष्ट है कि राजनीति में विद्यार्थी स्वयं नहीं जाते।

बल्कि स्वार्थी राजनीतिज्ञ ही उन्हें खींचने का प्रयास करते रहते हैं।

इसकी पूरी संभावना है कि राजनीतिज्ञ छात्र शक्ति को अपने हित साधन का माध्यम बनाते रहेंगे।

उपसंहार

In Conclusion यह कहा जा सकता है कि छात्र शक्ति को सही मार्गदर्शन देते हुए राष्ट्रहित में उसका योगदान सुनिश्चित करना जरूरी है ।

छात्र संघों के चुनाव अनेक राज्यों में प्रतिबंधित हैं।

छात्र संघों से राजनीति और सत्ता को घबराहट होती है।

यहां तक कि राजनेता छात्र संघों के माध्यम से राजनीति में आए वह भी छात्र संघों के प्रति उदार नहीं है।

होना यह चाहिए कि छात्रसंघ विद्यार्थियों के सांस्कृतिक वैचारिक और राजनीतिक रुझानों के विकास में सहायक बने ।

ताकि छात्र नेतृत्व और उसकी गंभीरता को समझ कर अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकें।

छात्र संघ और राजनीति कहीं ना कहीं इस भूमिका से जुड़ी हुई है , इसीलिए देश के राजनेताओं व अन्य प्रशासकों को उनका गला दबाने का अवसर मिला।

Finally इस आर्टिकल में हमने जाना कि shiksha aur rajniti par nibandh

कैसे लिखा जाता है अगर आपका इससे संबंधित कोई प्रश्न है तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं।

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