Anushasan par Nibandh – अनुशासन पर निबन्ध

Last updated on November 4th, 2023 at 06:33 pm

Anushasan par Nibandh रुपरेखा (1) प्रस्तावना (2) अनुशासन का अर्थ

और महत्व (3) अनुशासन हीनता के कारण (4) निवारण के उपाय (6) उपसंहार।

(1) प्रस्तावना

Anushasan par Nibandh – विद्यार्थी देश का भविष्य होते हैं।

क्योंकि प्रत्येक प्रकार का का विकास विद्यार्थियों पर ही निर्भर है.

विद्यार्थी जाति, समाज और देश का निर्माता होता है अतः विद्यार्थियों का चरित्र अच्छा होना बहुत ही आवश्यक है

और उत्तम चरित्र अनुशासन से ही बनता है और अनुशासन जीवन का प्रमुख अंग और विद्यार्थी जीवन की आधारशिला है।

अच्छा जीवन व्यतीत करने के लिए मात्र विद्यार्थी ही नहीं अपितु प्रत्येक मनुष्य के लिए अनुशासित होना अति आवश्यक है।

आज के समय में विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता की शिकायत

सामान्य सी बात हो गई है। इससे शिक्षा जगत ही नहीं, अपितु सारा समाज भी प्रभावित हुआ है।

Anushasan par Nibandh – अनुशासन का अर्थ और महत्व

अनुशासन” का अर्थ है बड़ों की आज्ञा (शासन ) के पीछे अनु चलना।

“अनुशासन” का अर्थ वह मर्यादा है जिनका पालन ही विद्या प्राप्त करने और उसका सही उपयोग

करने के लिए अनिवार्य होता है। अनुशासन का भाव सरल रूप से विकसित किया जाना चाहिए।

थोपे जाने पर अथवा बल पूर्वक पालन कराए जाने पर यह लगभग अपना उद्देश्य खो देता है।

विद्यार्थियों के प्रति लोग यही शिकायत करते रहते हैं कि वे अनुशासन हीन होते जा रहे हैं।

किंतु शिक्षक वर्ग को भी इसका कारण जानना चाहिए

क्योंकि विद्यार्थियों की उनमें श्रद्धा विरुद्ध होती जा रही है। कहीं इसका कारण विद्यार्थी स्वयं शिक्षक या उनके माता-पिता तो नहीं है।

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Anushasan par Nibandh

अनुशासन हीनता के कारण

विद्यार्थियों में अनुशासन हीनता 1 दिन में पैदा नही होती है

इसके अनेक कारण हैं जिन्हें मुख्य रूप से चार वर्गों में बांटा जा सकता है –

(क) पारिवारिक कारण –

बालक की पहली पाठशाला परिवार है। माता पिता के आचरण का बालक पर

गहरा प्रभाव पड़ता है। आज बहुत से ऐसे परिवार हैं।

जिनमें माता-पिता दोनों नौकरी करते हैं। या अलग-अलग कामों में व्यस्त रहते हैं।

इससे बालक उपेक्षित होकर विद्रोही बन जाता है।

(ख) सामाजिक कारण –

विद्यार्थी जब समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, घूसखोरी, फैशनपरस्ती, विलासिता,

सिफारिश बाजी और भोगवाद यानी कि हर स्तर पर

व्याप्त अनैतिकता को देखता है तो वह विद्रोह करने लगता है और अध्ययन की उपेक्षा भी करने लगता हैं।

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(ग) राजनीतिक कारण –

छात्र अनुशासन हीनता का एक बहुत बड़ा कारण गलत राजनीति भी हैं।

आज राजनीति जीवन के हर क्षेत्र पर छा गई है।

सारे वातावरण को इतना दूषित कर दिया है कि स्वस्थ वातावरण में सांस लेना भी कठिन हो गया है।

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(घ) शैक्षिक कारण –

विद्यार्थी अनुशासन हीनता का सबसे बड़ा शैक्षिक कारण भी है –

विद्यार्थी के अध्ययन के लिए आवश्यक सामग्री जैसे कि – कलम, कॉपी, किताब, भवन एवं अन्य सुविधाओं का अभाव, अनैतिक और भ्रष्ट अध्यापकों की नियुक्ति,

कर्तव्य परायण एवं चरित्रवान शिक्षकों के स्थान पर अयोग्य,

अध्यापकों द्वारा छात्रों की कठिनाइयों की उपेक्षा करके

ट्यूशन आदि के चक्कर में लगे रहना या मनमाने ढंग से कक्षाएं लेना आदि अनुशासनहीनता के कारण है।

(ड़) निवारण के उपाय –

टीचरों को नियुक्त करते समय सत्यता, योग्यता और ईमानदारी का अच्छी प्रकार से आकलन किया जाए तो प्राय: यह समस्या उत्पन्न ही ना हो.

प्रभावशाली, गरिमा मंडित, विद्वान शिक्षक के सामने विद्यार्थी सदैव अनुशासन में रहते हैं।

अनुशासनहीनता के कारणों को दूर करके ही हम इस समस्या का समाधान कर सकते हैं।

सबसे पहले वर्तमान शिक्षा – व्यवस्था को इतना व्यावहारिक बनाया जाना चाहिए कि शिक्षा पूरी करने के बाद विद्यार्थी अपनी आजीविका के विषय में पूर्णता निश्चिंत हो सके।

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शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी के स्थान पर मातृभाषा हो।

शिक्षा सस्ती की जाए। निर्धन और अयोग्य छात्रों को निशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराई जाए।

परीक्षा प्रणाली स्वच्छ हो जिससे योग्यता का सही और निष्पक्ष मूल्यांकन हो सके।

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उपसंहार Anushasan par Nibandh

छात्रों के समस्त असंतोषों का जन्मदाता “अन्याय” है।

इसलिए जीवन के हर एक क्षेत्र से अन्याय को मिटाकर ही देश में सच्ची सुख शांति लाई जा सकती है।

छात्र अनुशासन हीनता का मूल कारण – भ्रष्ट राजनीति समाज, परिवार,

और दूषित शिक्षा प्रणाली में निहित है। इसमें सुधार लाकर ही विद्यार्थियों में व्याप्त

अनुशासनहीनता की समस्या का समाधान हो सकता है।

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धन्यवाद !

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